सेक्युलरिज़्म एकतरफा क्यों? | Selective Secularism in India | Peddler Media

Selective Secularism in India

Selective Secularism in India: भारत को हमेशा से “धर्मनिरपेक्ष देश” कहा जाता है। लेकिन आज सवाल उठ रहा है — क्या हमारा सेक्युलरिज़्म वाकई सबके लिए बराबर है? या फिर यह सिर्फ़ एक धर्म पर लागू होता है, और दूसरे धर्मों के लिए चुप्पी साध ली जाती है?

कभी हिंदू त्योहारों पर पर्यावरण की चिंता जताई जाती है, तो कभी परंपराओं को “पुराना सोच” कहकर निशाना बनाया जाता है। वहीं, जब दूसरे धर्मों की बात आती है, तो वही लोग चुप रहते हैं। यही असली चेहरा है Selective Secularism in India का — एक ऐसी सोच जो समानता के नाम पर असमानता फैलाती है।

Selective Secularism in India:- मीडिया और पॉलिटिक्स का डबल स्टैंडर्ड

भारत का मीडिया आज समाज का आईना नहीं, बल्कि “फिल्टर” बन गया है। जब कोई हिंदू महिला अपनी संस्कृति को अपनाती है, तो उसे “पुराना” कहा जाता है। लेकिन जब कोई और धर्म की महिला परंपरा निभाती है, तो उसे “empowered” बताया जाता है। क्या यह समानता है या एक सुनियोजित नैरेटिव?

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राजनीति भी इस खेल में पीछे नहीं। वोट बैंक की राजनीति में सेक्युलरिज़्म सिर्फ़ भाषणों में दिखता है, ज़मीन पर नहीं। एक समुदाय के तुष्टिकरण के लिए दूसरे धर्म पर सवाल उठाना अब “normal” बन चुका है।

Selective Secularism in India

Selective Secularism in India:- त्योहारों पर सवाल सिर्फ़ हिंदू धर्म के लिए क्यों?

हर साल दिवाली या होली आते ही अभियान शुरू हो जाता है — “पटाखे बंद करो”, “पानी बचाओ”, “जानवरों को मत रंगो”… पर जब बाकी धर्मों के पर्व आते हैं, तो वही आवाज़ें गायब क्यों हो जाती हैं? क्या पर्यावरण सिर्फ़ हिंदू त्योहारों पर ही प्रदूषित होता है? यही वह दोहरा रवैया है जिसने समाज को बाँट दिया है।

Selective Secularism in India:- भारत में सच्चा सेक्युलरिज़्म क्या होना चाहिए

सेक्युलरिज़्म का मतलब है सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार। ना किसी को ऊपर, ना किसी को नीचे। लेकिन आज के दौर में सेक्युलरिज़्म का मतलब बन गया है — “हिंदू पर सवाल उठाओ, बाकियों पर चुप रहो।” भारत की असली ताकत उसकी विविधता में है। अगर हम वाकई सेक्युलर हैं, तो हमें हर धर्म की अच्छाइयों और कमियों पर समान रूप से बात करनी होगी। सेक्युलरिज़्म को सिर्फ़ “स्लोगन” नहीं, बल्कि “संविधान की आत्मा” बनाना होगा।

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निष्कर्ष: सच्चा धर्मनिरपेक्ष भारत वही जो सबको बराबर देखे

जब तक समाज एकतरफ़ा सोच से बाहर नहीं निकलेगा, तब तक “समानता” सिर्फ़ किताबों में रहेगी। सेक्युलरिज़्म को बचाने का मतलब सिर्फ़ एक समुदाय की रक्षा करना नहीं है — बल्कि हर धर्म को बराबर सम्मान देना है। और यही भारत की असली पहचान है।

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