India Pakistan Border Tension 2025 क्या युद्ध के कगार से लौटना ही काफी है? – एक संपादकीय विचार

India Pakistan Border Tension 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही हालिया तनातनी एक बार फिर हमारे ज़ेहन में वही पुराना सवाल छोड़ गई है — क्या हम हर बार बस रुक जाना ही अपनी जीत मान लें? और क्या ये रुकावट स्थायी समाधान देती है?

दोनों देशों के नेताओं ने हाल ही में यह बयान दिया कि “अगर उन्होंने रोक दिया तो हम भी रोक देंगे।” यह सुनकर एक आम भारतीय के मन में कई सवाल उठते हैं। क्या हम हर बार बस इंतज़ार करते रहेंगे कि पाकिस्तान पहले क्या करता है? क्या हमारी नीति सिर्फ reactionary रह जाएगी?

After Pahalgam Attack, India Hits Back: India Pakistan Border Tension 2025
After Pahalgam Attack, India Hits Back: India Pakistan Border Tension 2025

India Pakistan Border Tension 2025 – पहलगाम हमला: एक और सब्र की परीक्षा

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम(Pahalgam Attack) में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जो कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट संगठन माना जाता है।

भारत सरकार ने इस हमले को “पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद” करार दिया और तुरंत कई कड़े कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाए:

  • इंडस जल संधि को निलंबित कर दिया गया।
  • वाघा-अटारी सीमा बंद कर दी गई।
  • पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया गया और
    भारतीय राजनयिकों को वापस बुला लिया गया।
  • SAARC वीजा धारकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया।
India Pakistan Border Tension 2025 क्या युद्ध के कगार से लौटना ही काफी है? – एक संपादकीय विचार 18 May 2025 - Peddler Media
India Pakistan Border Tension 2025 – Peace needs more than patience — it needs a plan

सैन्य जवाब: ऑपरेशन सिंदूर

7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के भीतर नौ लक्ष्यों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इन लक्ष्यों में बहावलपुर और मुरिदके जैसे आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप शामिल थे। भारत ने इन हमलों को “केंद्रित, मापा गया और गैर-उत्तेजक” बताया।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: ऑपरेशन बुनियान उल मर्सूस

जवाब में पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन बुनियान उल मर्सूस’ की घोषणा की और भारतीय सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। पाकिस्तान का दावा था कि उसने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भारतीय एयरबेस को निशाना बनाया और यहां तक कि भारतीय S-400 डिफेंस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाया। हालांकि भारत ने इन दावों का खंडन किया।

आम जनता पर असर: खामियाजा कौन भुगते?

इस टकराव का सबसे बड़ा प्रभाव सीमा के दोनों ओर रहने वाले आम नागरिकों पर पड़ा:

  • भारत में 32 हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द कर दी गईं।
  • पाकिस्तान ने अपने पूरे हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया।
  • सीमा पर बसे लोगों को बम शेल्टरों में शरण लेनी पड़ी
  • कई क्षेत्रों में ब्लैकआउट और आपातकालीन घोषणाएं की गईं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: शांति की अपील

अमेरिका, यूरोपीय संघ, G7 और चीन जैसे वैश्विक शक्तियों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत और पाकिस्तान दोनों से सीधी बातचीत की और मध्यस्थता की पेशकश भी की। लेकिन यह सवाल फिर भी बना रहता है — क्या सिर्फ संयम ही हमारे लिए काफी है?

इतिहास गवाह है: पाकिस्तान की चालें

हम 1947 से अब तक देख चुके हैं — कारगिल, उड़ी, पुलवामा… हर बार पाकिस्तान की तरफ से या तो आतंकवादियों को भेजा गया या सीधे सेना के ज़रिए भारत की शांति को चुनौती दी गई। और हर बार भारत ने संयम रखा, जवाब भी दिया, लेकिन समाधान शायद कभी स्थायी नहीं रहा।

कई भारतीयों की तरह मेरे मन में भी यह विचार उठता है — अगर अब जब हालात इतने नाज़ुक हो ही गए हैं, तो क्या यही सही समय नहीं है कि हम एक बार के लिए इस समस्या का permanent समाधान करें?

क्या कश्मीर मुद्दे का कोई अंत नहीं?

कश्मीर हमेशा से विवाद का मूल रहा है। लेकिन अब जब भारत ने संविधान में परिवर्तन करके कश्मीर को एक अलग पहचान से मुक्त किया है, तो पाकिस्तान की लगातार दखलअंदाज़ी एक स्वाभाविक सवाल उठाती है: क्या अब भी हमें उनके “रोकने” का इंतज़ार करना चाहिए?

India Pakistan Border Tension 2025 क्या युद्ध के कगार से लौटना ही काफी है? – एक संपादकीय विचार 18 May 2025 - Peddler Media
India Pakistan Border Tension 2025: Is It Time for a Permanent Solution?

युद्ध नहीं, लेकिन निर्णय ज़रूरी है

ये लेख युद्ध का समर्थन नहीं कर रहा — क्योंकि युद्ध में हमेशा नुकसान ही होता है। लेकिन यह लेख उस नैतिक कमजोरी के खिलाफ है जो बार-बार हमें पीछे खींचती है। अगर हम हर बार उन्हें रोकने का मौका देंगे, तो वो हर बार नए तरीके से हमला करेंगे — LOC पर, कश्मीर में, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर।

नई सोच, निर्णायक नीति

आज भारत एक वैश्विक शक्ति बन चुका है — टेक्नोलॉजी से लेकर डिप्लोमेसी तक, हम हर मोर्चे पर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में हमारी नीति सिर्फ जवाब देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि अब हमें अपने नागरिकों के मन की बात समझते हुए एक निर्णायक नीति बनानी चाहिए।

निष्कर्ष: अब या कभी नहीं

अगर पाकिस्तान बार-बार वही करता रहेगा, और हम बार-बार संयम दिखाते रहेंगे, तो क्या कभी समाधान मिलेगा? शायद नहीं। अब वक्त है कि भारत एक स्पष्ट संदेश दे — या तो शांति रहे, या स्थायी समाधान की तरफ बढ़ा जाए।

आधी लड़ाइयों से जीत नहीं मिलती, सिर्फ वक्त टाला जाता है।

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